शरीर रक्षा के मन्त्र


कभी-कभी किसी स्थान आदि के प्रभाव के कारण नकारात्मक शक्तियाँ अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है | ये नकारात्मक शक्तियाँ जैसे : नजर के दोष, भूत-प्रेत जैसी ऊपरी बाधा का आना मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है

मन्त्र तन्त्र साधना को करने से पूर्व अगर शरीर रक्षा मन्त्र का जाप कर लिया जाये तो फिर कोई किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचा सकता है।

शरीर रक्षा के मन्त्र

“ॐ सीस राखे साइयां, श्रवण सिरजन हार।
नैन राखै नरहरि, नासा अपरग पार।
मुख रखा माधवे, कण्ठ रखा करतार।
हृदै हरि रक्षा करे, नाभि त्रिभुवन सार।
जंघा रखा जगदीश, करे पिण्डी पालन हार।
गिर रखा गोविन्द की, पगतली परम उदार।
दोऊ भाई ज्वर सुना महावीर नाम।
दिन राति कटि मरे महादेव के ठाम।
फूर छुदसे छत्तीस रूप मुहूर्तमों धराय।
नाराज नामूक के घर दुआर फिराय।
ज्वाला ज्वरपाला ज्वरकाला ज्वरविशा की।
दोह ज्वर उभा ज्वर भूमा ज्वर झूमकि।
घोड़ा ज्वर भूता तिजारी ओ चौथाई।
सबन को भंग घोटन शिव ने बुझाई।
यह ज्वर ज्वर सुरा तू कौन और तकाव।
शीघ्र अमुक अंग छोड़ तुम जाव।
यदि अंगन में तू भूलि भटकाय।
तो गुरु गोरखनाथ के लागा तू खाय।
आदेश कामरू कामाक्षा माई।
आदेश हाड़ि दासी चंडी की दोहाई।”

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